करीना कपूर भारतीय फ़िल्म उद्योग बॉलीवुड की एक मशहूर अभिनेत्री है. अपने अभिनय के द्वारा ये हर किरदार को बड़ी जीवंतता के साथ निभा चुकी है. इन्होने कॉमेडी, रोमांटिक, क्राइम और ड्रामा सभी तरह के किरदार निभाए है. करीना कपूर बॉलीवुड के बड़े परिवार कपूर खानदान में जन्म लेने के बावजूद भी अपनी मेहनत और अभिनय क्षमता की वजह से बॉलीवुड में एक बड़ा मुकाम हासिल कर पाई है. इसके साथ ही इन्होने बहुत सारे अवार्ड भी जीते है. करीना कपूर सिर्फ़ एक अभिनेत्री ही नहीं बल्कि एक डिजायनर और लेखिका भी है. करीना एक बहुत ही बोल्ड हीरोइन है.
करीना कपूर की शिक्षा
करीना कपूर की शुरुआती पढाई मुम्बई के ही एक नर्सिंग स्कुल में हुई है, जिसका नाम जमनाबाई नरसी स्कूल है. फिर वह देहरादून चली गई जहाँ पर उन्होंने वेलहेम गर्ल्स हाई स्कूल में अपना नामांकन कराया. करीना का मन ज्यादा पढाई में नहीं लगता था, इस इंस्टिट्यूसन में वे अपनी माँ को खुश करने के लिए जाया करती थी. गणित को छोड़कर और किसी भी विषय में उनकी ज्यादा रूचि नहीं थी. करीना ने वेलहम से अपनी स्नातक की पढाई करने के बाद विले पारले जो की मुम्बई में है के मिथिला बाई कॉलेज से कॉमर्स से स्नातक के लिए दो वर्ष की पढाई की. फिर उन्होंने यूनाइटेड स्टेट के हारवार्ड समर स्कूल में 3 महीने के ग्रीष्मकालीन सत्र में माईक्रो कम्प्यूटर की पढाई के लिए नामांकन कराया. इसके बाद उन्हें कानून के बारे में जानने की इच्छा हुई, तो उन्होंने अपना नामांकन मुम्बई के ही एक लॉ कॉलेज में करा लिया, जो कि गवर्मेंट लॉ कॉलेज था. उन्होंने कानून की पढाई में एक साल का सत्र पूरा किया, लेकिन बाद में उनकी चाहत फिल्मों में जाने की होने लगी, जिस वजह से फिल्मों में अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए करीना कपूर फ़िल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इण्डिया नामक संस्थान से जुड़ गई. फिर वो एफटीआईआई के सदस्य किशोर नामित से अभिनय सीखने लगी.
करीना कपूर का पारिवारिक जीवन
हमारी फिल्म इंडस्ट्री में कपूर परिवार को कौन नहीं जानता, और इसी परिवार से करीना संबंध रखती हैं. इनके पिता फ़िल्म अभिनेता है, और इनके दादा जी फ़िल्म अभिनेता के साथ – साथ एक प्रोड्यूसर भी थे. ये अपने माता – पिता परिवार की दूसरी संतान हैं पहली करिश्मा कपूर हैं. उनके नाम के बारे में बताया गया है कि करीना उनका नाम इसलिए रखा गया, क्योंकि उनकी माँ जब गर्भवती थी तब हमेशा एना करेनिना की किताबें पढ़ा करती थी. इसलिए सब ने उनको भी करीना का नाम दे दिया. वो पिता के खानदान की तरफ से पंजाबी और माँ के खानदान की तरफ से सिन्धी और ब्रिटिश खानदान की है. कपूर परिवार हमेशा हिन्दू धर्म को मानता है, इस तरह से करीना कपूर हर धर्म का मिला जुला रूप है.
करीना कपूर का व्यक्तिगत जीवन
इनके इनकी शादी से पहले 2 सहअभिनेताओं के साथ अफेयर रह चुके हैं, उनके नाम शाहिद कपूर एवं हृतिक रोशन हैं. इसके बाद इनका संबंध सैफ अली खान के साथ जुड़ा, और 16 अक्टूबर 2012 को उन्होंने सैफ अली खान से शादी करने के बाद अपने नाम के आगे एक उपनाम जोड़ दिया. अब सभी इनको करीना कपूर खान के नाम से जानते है. सैफ अली खान से शादी करने के बाद उन्होंने शादी की रिसेप्सन पार्टी मुम्बई के ताज होटल में दी थी. उन्होंने अपने से 10 साल बड़े सैफ से शादी की, जो कि पहले से शादी शुदा थे. उनकी पहली बीवी अमृता सिन्हा थी, जिससे उनके दो बच्चे है. उन्होंने अपनी शादी के बाद हिन्दू रीति रिवाज में जो पति के खानदान का उपनाम जुड़ता है, उसे जारी रखा है.
वह बहुत ही चुलबुली स्वभाव की बचपन से ही है. करीना कपूर अपनी फिल्मों की व्यस्तता में भी सामाजिक कार्यों के लिए समय निकाल ही लेती है, वह कई तरह के चैरिटी शो का हिस्सा भी रही है. वह महिलाओं के लिए वीमेन सेफ्टी को बढ़ावा देती है, इसके साथ ही बच्चों की पढाई के लिए भी लोगों को प्रेरित करने का कार्य करती है.
करीना कपूर के करियर की शुरूआत
वे अभिनय के क्षेत्र में मीना कुमारी और नर्गिस के काम से प्रभावित होकर फिल्मों में आने के लिए प्रेरित हुईं. किन्तु उनके पिता को फिल्मों में उनके घर की महिलाओं द्वारा काम करना पसंद नहीं था. उनका मानना था कि महिलाओं को परम्परागत रूप से पारिवारिक जिम्मेदारियां ही निभानी चाहिए, लेकिन उनकी माँ ने उनकी इस सोच का विरोध किया. इस वजह से उनके माता – पिता दोनों अलग हो गए. करीना की माँ ने अपनी बेटियों के लिए बहुत संघर्ष किये. उनके संघर्ष का ही परिणाम था कि करिश्मा कपूर ने फिल्मों में काम किया. जिस वजह से फिल्मों में आने का रास्ता करीना के लिए आसान हो गया. फिर उनके काम को देखते हुए उनके पिता ने भी उन्हें इसके लिए अपनी सहमती दे दी.
करीना कपूर को पहले 2000 में राकेश रोशन की फ़िल्म ‘कहो न प्यार है’ मिली, जिसमे उनके हीरो राकेश रोशन के बेटे ऋतिक रोशन थे. कुछ समय बाद करीना ने यह कहते हुए यह फ़िल्म छोड़ दी, कि इस फ़िल्म में राकेश रोशन अपने बेटे को ज्यादा अहमियत दे रहे है. फिर करीना कपूर ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत रिफ्यूजी फ़िल्म से की थी, जिसमे उनके हीरो अभिषेक बच्चन थे. यह जे पी दत्ता की फ़िल्म थी. यह फ़िल्म 1971 के भारत पाकिस्तान की सीमा को रिफ्यूजी द्वारा लोगों को पार कराने पर आधारित फ़िल्म थी. इस फ़िल्म में करीना ने एक बांग्लादेशी लड़की ‘नाज’ के किरदार को निभाया था. ये फ़िल्म ज्यादा नहीं चली लेकिन इसमें करीना द्वारा किये गए अभिनय की तारीफे हुई और इस फ़िल्म के लिए उन्हें पुरस्कार भी मिला.
करीना कपूर का फ़िल्मी करियर
सन 2000 में ही इनकी फ़िल्म ‘मुझे कुछ कहना है’ आई, जिसमे इनके हीरो तुषार कपूर थे यह फ़िल्म हिट रही. फिर इनकी सुभाष घई द्वारा निर्मित फ़िल्म ‘यादें’ आई, जिसमे इनके हीरो ऋतिक रोशन थे. यह फ़िल्म सफल नहीं हो पाई, फिर अब्बास मस्तान की फ़िल्म ‘अजनबी’ आई उस फ़िल्म में उनके हीरो अक्षय कुमार थे. इसके बाद ‘अशोका’ फ़िल्म आई जिसे सम्राट अशोक के काल्पनिक जीवन पर निर्मित किया गया था. इस फ़िल्म में उनके हीरो शाहरुख़ खान थे. सन 2001 में, टोरंटो इन्टर नेशनल वेनिस में अशोका फ़िल्म और उसमें उनके अभिनय को सकारात्मक समीक्षा मिली.
सबसे सफल रही उनकी फ़िल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ थी, जिसमे उनके किरदार का नाम पूजा था, जिसको लोगों ने खूब पसंद किया. यह फ़िल्म करण जौहर द्वारा बनाई गई थी. इस फ़िल्म में उनके हीरो ऋतिक रोशन थे. इसके अलावा इस फ़िल्म में और भी बड़े बड़े अभिनेता और अभिनेत्री थे जिसमे अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान और काजोल भी थे. यह फ़िल्म बहुत हिट रही, इसके साथ ही यह उस समय की भारत में पैसे बनाने वाली दूसरी सबसे बड़ी फ़िल्म बन गई थी. इस फ़िल्म में उनको सहायक अभिनेत्री के लिए बेस्ट अभिनेत्री का अवार्ड मिला. इस फ़िल्म के बाद से उनका नाम सफल अभिनेत्रियों में लिया जाने लगा. जिससे वे सबसे ज्यादा मेहनताना लेने वाली भारतीय फ़िल्म उद्द्योग की अभिनेत्री बन गई थी.
इसके चलते वे अलग – अलग तरह के किरदार में अपने आप के लिए चुनौती लेते हुए, अपनी अभिनय को और निखारने की कोशिश करने में लग गई. सन 2004 में सुधीर मिश्रा के निर्देशन में उनकी एक फ़िल्म आई जिसका नाम था ‘चमेली’. इस फ़िल्म में उन्होंने एक वेश्या का रोल किया था. इस फ़िल्म में उनके हीरो राहुल बोस थे. हालाँकि करीना पहले इस फ़िल्म के लिए तैयार नहीं थी. उन्होंने इसे करने से मना कर दिया था, लेकिन सुधीर मिश्रा के दूसरी बार कहने पर वह इंकार नहीं कर पाई और इस फ़िल्म के लिए हामी भर दी. इस फ़िल्म के किरदार को समझने के लिए उन्होंने कई बार रात में मुम्बई के रेड लाइट एरिया का दौरा किया. वो उनके कपडे पहनने के भाव से लेकर बोलने चलने तक को बड़े ध्यान से देखती थी और उन्होंने अपनी फिल्मों में वहीं करने की कोशिश की. इस फ़िल्म को क्रिटिक्स की भी सकारात्मक समीक्षा मिली. इस फ़िल्म को विशेष जूरी द्वारा 49 वे फ़िल्म फेयर में अवार्ड भी मिला और साथ ही यह भी कहा गया, कि इस फ़िल्म में इनके अभिनय ने सारी अपेक्षाओं को पार कर दिया. यह बहुत ही बेहतरीन फिल्म थी.
इसके बाद करीना कपूर की फ़िल्म ‘युवा’ आई. इस फ़िल्म में उनके सहयोगी कलाकार थे अजय देवगन, अभिषेक बच्चन, विवेक ओबराय, ईशा देओल और रानी मुखर्जी. करीना कपूर ने इस फ़िल्म में मीरा नामक पात्र निभाया, और इसमें उनके साथ उनके को – एक्टर के रूप में विवेक ओबरॉय थे. फिर इसके बाद इनकी फ़िल्म आई ‘देव’, जोकि 2002 में हुए गुजरात के हिन्दू मुस्लिम दंगे पर आधारित थी. इस फ़िल्म में किये गए उनके कार्य को अमिताभ बच्चन, गोविन्द निहलानी के साथ ही फ़िल्म के आलोचकों ने भी बहुत सराहा है. इस फ़िल्म को कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए.
करीना ने एक खलनायिका के रूप में फ़िल्म ‘फ़िदा’ में काम किया था. इस फ़िल्म में उनके साथी कलाकार थे सैफ अली खान और शाहिद कपूर तथा इस फ़िल्म में उनके किरदार का नाम नेहा मेहरा था. कुछ आलोचकों ने करीना के अभिनय की तारीफ की. हालाँकि यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी नहीं दिखा पाई. इसके बाद ही उनकी और फिल्मे जैसे कि ‘ऐतराज’ और कॉमेडी फ़िल्म ‘हलचल’ आई. यह फ़िल्म प्रियदर्शन ने बनाई थी यह दोनों ही फ़िल्म कामयाब रही. सन 2005 में करीना की फ़िल्म ‘बेवफा’ आई, इस फ़िल्म में करीना के किरदार का नाम अंजलि सहाय था. इस फ़िल्म में इनके सहयोगी कलाकार थे अनील कपूर, सुस्मिता सेन, अक्षय कुमार. इसके बाद ही फ़िल्म ‘क्योंकि’ और ‘दोस्ती: फ्रेंड फॉरएवर’ आई. यह दोनों ही फ़िल्म अच्छी रही, इसके साथ ही ‘क्योंकि’ फ़िल्म में करीना कपूर के अभिनय को सराहना मिली.
सन 2006 में करीना कपूर की तीन फिल्मे आई, एक थी ‘36 चाइना टाउन’ जोकि एक थ्रिलर फ़िल्म थी, जिसमे उनके हीरो शाहिद कपूर थे. फिर उनकी फ़िल्म आई ‘चुप चुप के’ यह एक कॉमेडी फ़िल्म थी. इस फ़िल्म में भी उनके हीरो शाहिद कपूर ही थे. इसके साथ ही इस फ़िल्म में परेश रावल, सुनील शेट्टी और ओम पूरी जैसे भी कलाकार थे, दोनों ही फ़िल्म कुछ खास सफल नहीं हुई. फिर उनकी फ़िल्म आई ‘ओमकारा’, जिसमे शेक्सपियर की ऑथेलो के एक किरदार को दिखाया गया था. यह फ़िल्म विशाल भारद्वाज जोकि एक विश्व स्तर के निदेशक है उनके द्वारा निर्देशित की गई थी. यह फ़िल्म उत्तर प्रदेश की राजनीति को लेकर बनाई गई थी. आलोचकों ने इस फिल्म को खूब सराहा और इस फ़िल्म ने स्क्रीन अवार्ड के पुरस्कार को प्राप्त किया. इस फ़िल्म के लिए कहा गया कि यह शानदार और प्रसंशा करने लायक फ़िल्म है. इस फ़िल्म को करने के बाद करीना ने फिल्मों से कुछ समय के लिए अवकाश ले लिया.
करीना कपूर ब्रेक के बाद फिर से फिल्मों में सक्रीय हुई और उनकी फ़िल्म ‘जब वी मेट’ आई, जिसको इम्तियाज़ अली ने निर्देशित किया था. यह एक बहुत ही जाने माने निर्देशक है यह फ़िल्म 2007 में आई थी. इस फ़िल्म में करीना के हीरो शाहिद कपूर थे. इस फ़िल्म में करीना द्वारा अभिनीत किये किरदार को लोगों ने बहुत ज्यादा पसंद किया. इस फ़िल्म में उनके किरदार का नाम गीत था यह एक चुलबुली लड़की थी और शाहिद का किरदार ठीक इसके उल्टा था. वह एक गंभीर व्यक्ति का रोल कर रहे थे. इस फ़िल्म के द्वारा यही दिखाने की कोशिश हुई थी, कि दो विपरीत स्वाभाव के लोग किस तरह से एक दुसरे के प्यार में पड़ जाते है. यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर बहुत ही कामयाब हुई कमाई के मामले में भी इस फ़िल्म ने और फिल्मों के मुकाबले बहुत ज्यादा कमाई की. इस फ़िल्म के लिए करीना कपूर को बहुत से अवार्ड भी मिले.